कांग्रेस पार्टी के विधान परिषद सदस्य प्रेम चंद्र मिश्रा ने प्रवासी श्रमिकों को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग के नित्य नए फरमानों को क्वारेंटिंन केंद्रों में रहनेवालों के लिए अपमानजनक बताते हुए कहा कि सरकार के कथनी और करनी में बड़ा फर्क है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद ये घोषणा की थी कि क्वारेंटिंन केंद्रों पर 14 दिन रहने के बाद घर जाने वक्त प्रवासियों को ट्रेन किराया के अतिरिक्त अलग से 500 रुपए दिए जाएंगे लेकिन आपदा विभाग के प्रधान सचिव के द्वारा नए फरमान ने मुख्यमंत्री के द्वारा की गई घोषणा में शर्त लगा दी कि जिन प्रवासियों श्रमिकों के बैंक खाते बिहार में होंगे अब सिर्फ उन्हें ही “प्रवासी मजदूर निष्क्रमण सहायता” राशि मद में कुल एक हजार रुपए दी जाएगी।इस से पहले भी एक अन्य आदेश में आपदा विभाग ने क्वारेंटिंन केंद्रों में खाने पीने की असुविधा को लेकर हंगामा करने वालों को कोई भी सहायता नही देने की धमकी दी गयी थी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह सहित अर्थशास्त्र में नॉबेल पुरस्कार विजेता भी लगातार गरीबों जरूरतमंद लोगों के खाते में सीधे पैसे डालने को कह रहे हैं वहीं बिहार के प्रवासियों श्रमिकों के लिए मात्र एक हज़ार रुपये के लिए आपदा प्रबंधन विभाग के फरमानों ने जहां एक ओर मुख्यमंत्री की घोषणाओं को ही हल्का कर दिया है वंही ये सब गरीबों तथा आभाव में रह रहे लोगों के लिए अपमानजनक व्यवहार जैसा है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि कोरोना संक्रमण की वजह से बड़ी संख्या में परेशानी झेल रहे प्रवासियों के प्रति हमदर्दी बरतने की तथा उन्हें उदारतापूर्वक मदद करने की जरूरत है तथा इस हेतु उन्हें अपने अधिकारियों के द्वारा जारी तुगलकी फरमानों पे लगाम लगाना अनिवार्य हो गया है। सभी प्रवासियों के लिए स्थानीय स्तर पे समुचित रोजगार सृजन को प्राथमिकता देनी होगी।