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कोसी महोत्सव में प्रशासनिक उदासीनता आई सामने ! … कार्यक्रम के उद्घाटन में नहीं पहुंचे कोई मंत्री व संबंधित अधिकारी, SP लिपि सिंह ने किया उद्घाटन..

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बी एन सिंह पप्पन, कोसी ब्यूरो चीफ, बिहार नाउ

बिहार सरकार के पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन के सौजन्य से शुक्रवार को सहरसा स्टेडियम मे दो दिवसीय कोसी महोत्सव का शुभारंभ किया गया।इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया।इस अवसर पर डीडीसी संजय कुमार निराला, सदर एसडीओ प्रदीप कुमार झा,मुख्यालय डीएसपी एजाज हाफिज मनी,सदर एसडीपीओ संतोष कुमार ,रजिया सुल्तान, डीसीएलआर रविन्द्र कुमार, दिलीप कुमार ध्वज उपस्थित रहे।चुनाव आचार संहिता का साया कोसी महोत्सव पर छाया रहा।

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इस कारण कोई भी माननीय मंत्री और माननीय सांसद ,विधायक ,विधान पार्षद आदि सिरकत नहीं कर सके।यहां तक कि शिक्षक विधान परिषद क्षेत्र पूर्णिया के रिटर्निंग आफिसर प्रभारी आयुक्त कोसी प्रमंडल श्रीमान मनोज कुमार भी उद्घाटन करने नहीं उपलब्ध हुए।जिलापदाधिकारी सहरसा श्रीमान आनन्द शर्मा भी आज सहरसा में नहीं थे ,इस कारण कार्यक्रम का उद्घाटन पुलिस अधीक्षक श्रीमती लिपि सिं एवं सभी डीएसपी,एसडीपीओ आदि के सहयोग से सम्पन हुआ।इस अवसर पर उद्घाटन कर्ता सहित अन्य अतिथियों को पाग चादर एवं प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत स्वरांजलि की बालिका कलाकारों द्वारा स्वागत गीत , चैती गीत एवं समूह नृत्य से हुई। दर्शकों का मन मोहा।

श्रेया कुमारी ने शास्त्रीय संगीत कर वाहवाही बटोरी।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने कहा कि कोसी की संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए यह आयोजन किया जा रहा है।सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान कोई व्यवधान उत्पन्न ना हो इसके लिए सुरक्षा की दृष्टि से इसकी समुचित व्यवस्था की गई है।वही डीडीसी संजय कुमार निराला ने कहा कि कोसी महोत्सव बिहार की धरोहर है।इस धरोहर को अक्षुण्ण रखने के लिए संस्कृति का प्रचार-प्रसार आवश्यक है।सदर एसडीओ प्रदीप कुमार झा ने कहा कि महोत्सव का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक धरोहर का संरक्षण व संवर्धन कर पारंपरिक विरासत को आगे बढाना है।

राजद सरकार में वर्ष 1997 में बड़े ही तामझाम और उत्साह से शुरू किये गये कोसी महोत्सव का ऐसा भी दुर्दिन आयेगा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। छब्बीस वर्ष पूर्व राज्य के तत्कालीन पर्यटन मंत्री व राजद नेता अशोक कुमार सिंह के अथक प्रयास से शुरू किए गए राजकीय कोसी महोत्सव के गिरते स्तर व प्रशासनिक उदासीनता का ये नमूना रहा कि इसका उदघाटन सहरसा के एसपी लिपी सिंह के हाथों हुआ। इस समारोह में किसी मंत्री के आने की बात तो दूर न ही कोसी के आयुक्त पहुंचे और न ही सहरसा सुपौल और मधेपुरा के डीएम। कभी कोसी महोत्सव में गजल सम्राट पंकज उधास, चंदन दास, भजन सम्राट अनूप जलोटा और मशहूर पार्श्व गायक कुमार सानू,साधना सरगम, कविता कृष्णमूर्ति के गानों पर श्रोता भावविभोर होते थे उन्हें इस बार स्थानीय कलाकारों के अलावे दीक्षा के गाने सुन संतोष करना पड़ा। महोत्सव के शुरुआती समय से इसके बजट में जहां बढ़ोत्तरी बदस्तूर जारी रहा वहीं इसकी बैभवता और आकर्षण में कमी आती गयी। इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि राजद शासन में 1997 में महायोगनी मेला के नाम से शुरू हुआ। वर्ष 2002 में इस महायोगनी मेला को कोशी महोत्सव के नाम से पर्यटन विभाग इसे राजकीय महोत्सव के कलेंडर में शामिल किया। उसका इतना निम्नतम स्तर उसी समय ही देखना पड़ेगा जब सूबे में जदयू राजद गठबंधन की सरकार है और राजद के तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री।
मालूम हो कि वर्ष 2002 में तीन दिवसीय कोसी महोत्सव की शुरूआत हुई।2003,2004 के बाद 2005,2006 में आयोजित नहीं हुआ।फिर से इस महोत्सव को 2007में शुरू किया गया जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुए ,2008,(कुसहा बाढ त्रासदी के कारण 2009 को छोड़कर)2010 से 2019 ती लगातार कोसी महोत्सव का आयोजन होता आया।कोरोना के कारण 2020,2021व 2022 में एक बार फिर कोसी महोत्सव नहीं हुआ।

कोसी महोत्सव 2023 दिनांक 10-11मार्च को हो रहा है।पर इसकी आत्मा मर गयी है और उद्देश्य से भटक गया है।स्मारिका के प्रति घोर उपेक्षा जिसमें कोसी क्षेत्र के अनेक ऐतिहासिक,पुरातात्विक ,सास्कृतिक ,कला पेन्टिंग ,लोकगाथा के साथ क्षेत्र के विभिन्न भागों में छिपी जानकारियां संकलित की जाती थी ।इस बार कोसी महोत्सव के इतिहास में पहली बार नहीं छपी।संगीत अकादमी के कलाकार ,सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की कला समूह,उत्तर क्षेत्रीय कला केन्द्र अथवा पूर्वी क्षेत्रीय कला केन्द्र के सम्पर्क से कलाकारों को बुलाकर इस क्षेत्र के कलाकारों से नहीं जोड़ा गया ।यहां तक कि सुपौल ,मधेपुरा के कलाकारों को आमंत्रित नहीं किया गया है

।इसप्रकार प्रमंडलीय स्वरूप को घटाकर छोटा कर दिया गया।जनमानस से जुड़े बिना महोत्सव की सफलता नहीं हो सकती।इस महोत्सव में विभिन्न राज्यों के पारम्परिक नृत्य /गीत के समूह जिसमें राजस्थान की कालबेलिया,आसाम की बिहु,उड़ीसा की छऊ के नृत्य होते थे।
खान पान के स्टाल विविध व्यंजन से सजे स्टाल पर भीड़ लगी रहती थी।हरबार 100 से अधिक स्टाल पर प्रदर्शनी सह बिक्री होती थी।
इस बार जिला उद्योग केंद्र,आत्मा, आईडीबीआई बैंक, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक, बैंक ऑफ इंडिया,एचडीएफसी बैंक, आईसीडीएस, एचडीएफसी,बिहार शिक्षा परियोजना, स्वास्थ्य विभाग,नगर निगम,कल्याण, विद्युत विभाग एवं मद्य निषेध विभाग के द्वारा स्टॉल लगाया गया।इस अवसर पर स्वरांजलि के कलाकार द्वारा प्रो गौतम सिंह एवं प्रो भारती सिंह के निर्देशन में प्रिशा, सिद्दी केसरी,सोनाक्षी भारती, रिया कुमारी, अन्नी श्री, आरती कुमारी, सृष्टि कुमारी, श्रेया नैंसी राज,श्रेया कुमारी,मेधा शर्मा,परी राज,भगवती कुमारी,इसिका,सौम्या,तनु,गरिमा,पीहू,काव्या गुप्ता,राजलक्ष्मी, शिल्पी,शिवानी,रश्मि,माही,खुशी,लावण्या,लक्ष्मी, अदिति,सुषमा,शुभांगी व सानू प्रिया ने स्वागत गीत एवं चैती गीत व नृत्य मे भाग लिया।

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